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मैं क्रिकेट पे हाथ रख के क़सम खाता हूँ कि जो भी कहूँगा "SACH" कहूँगा और "SACH" के सिवा कुछ नहीं कहूँगा... कुछ ऐसा ही माहौल है, क्योंकि आज के बाद पिचें तो रहेंगी पर वो FEEL नहीं होगा, वो दलीलें नहीं होंगी पर भारतीय क्रिकेट की उम्मीदें जवाँ रहें क्योंकि "SACH" की दुआएं कुछ ऐसी ही हैं!
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