Thursday, July 30, 2009

सरफिरी

बहुत दिन हुए...आज लौटा हूँ विश्वजाल के इस मचान पे। पता नहीं क्यों इतना जुझारूं नहीं बन सका कभी...कि ब्लॉग फालो करूँ, पोस्ट करता चलूँ...पता नहीं क्यों ?

आमतौर पे इसे रूचि का अभाव ही कहेंगे वरना बातें तो इतनी घूमती रहतीं हैं हमारे दिलो ज़हन में कि लिखना इतना मुश्किल नहीं। अब मैं यह सोचता हूँ कि बहानों की चाबी किसी कुएं में फेंक के जज़्बों
दमख़म कैसे आजमाऊँ?

आपमें से कुछ लोगों ने मुझे वापस लिखा भी, उसे देख के बड़ी कृतज्ञता है मन में...इसलिए अभी भी कुछ बात न सूझने के बाद, अचानक लगा कि अभी लिख डालूं।

फिलहाल फिर एक दिमागी दर्द शुरू हुआ
थोड़ा इसे संभाल लूँ, एक एनासिन की सुपर फास्ट डाल के कर देता हूँ सरदर्द का फुलस्टाप।

चलिए फिर मिलता हूँ..

1 comment:

आशुतोष की कलम said...

लिखते रहें...
लेखन एनासिन का कम करेगा