Monday, March 23, 2009

आधे अधूरे

बहुत दिनों बाद ब्लॉग लिखने आया हूँ। कोई ख़ास मुद्दा, मसला या बात नहीं है ज़हन में। यूँ समझ लीजिये, अब आए हैं तो कुछ तो लिख दें। रुझान ज़बरदस्त होके भी जाने क्यूँ समय संतुलित नहीं कर पाता। या शायद इतना उत्साहित नहीं हो पाया हूँ अभी तक की ब्लॉग कल्चर में रच-बस के लेखन कर सकूँ। बहरहाल जब तक गुणवत्ता न सही, सादाबयानी ही सही।

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