Tuesday, November 26, 2013
Sunday, June 16, 2013
Wednesday, June 12, 2013
Thursday, May 30, 2013
Kumud Pandey: Few lines which I really loved..:)
Kumud Pandey: Few lines which I really loved..:): "Kabhi khud ko kisi betaqalluf ki nigah se bhi dekhiye... Rishton ke mulahije toh sarahte hain aapko roz hee..."
कभी खुद को किसी बेतक़ल्लुफ़ की निगाह से भी देखिये
रिश्तों के मुलाहिजे तो सराहते हैं रोज़ ही आपको
कभी खुद को किसी बेतक़ल्लुफ़ की निगाह से भी देखिये
रिश्तों के मुलाहिजे तो सराहते हैं रोज़ ही आपको
Friday, March 8, 2013
मनाओ…”महिला दिवस पर”
मना सकते हो तो उस रूठी हुई रूह को मनाओ
और वो एक ही क्या, कितनी और जो रूठ चली गयीं
चलीं क्या गयीं...बे आबरू और रुसवा की गयीं
जीते जी रूठना-मनाना तो फिर भी खूबसूरत था
पर जिस तरह से काले दिन मने वो बदसूरत था
हाँ, उम्मीद पर ही आदम की ये हयात कायम है
तो चलो आज के दिन कर लेते हैं एक और उम्मीद
सिर्फ जागना ही काफी नहीं टूटे होश की बेहोश नींद
उन बेहोशों का तो कोई भी यकीन नहीं न आज न कल
ये सोच विचार की बातें हैं हमारे लिए जो रखते अक्ल
ज़ाया ही कर देंगे इस दिन को भी हम गुज़रते ही
चली जो गयी भैंस अक्ल का सूखा चारा चरते ही
चलो देखो जितना हो सके उतनों तक ये दिन पहुँचाओ
मना सकते हो तो उस रूठी हुई रूह को मनाओ!!!
"असंख्य निर्भायाओं" के आह्वान के साथ नमन, हर उस महिला का जो पुरुषों को उनके अस्तित्व का मौक़ा देती है इंसानों की इस दुनिया में.
और वो एक ही क्या, कितनी और जो रूठ चली गयीं
चलीं क्या गयीं...बे आबरू और रुसवा की गयीं
जीते जी रूठना-मनाना तो फिर भी खूबसूरत था
पर जिस तरह से काले दिन मने वो बदसूरत था
हाँ, उम्मीद पर ही आदम की ये हयात कायम है
तो चलो आज के दिन कर लेते हैं एक और उम्मीद
सिर्फ जागना ही काफी नहीं टूटे होश की बेहोश नींद
उन बेहोशों का तो कोई भी यकीन नहीं न आज न कल
ये सोच विचार की बातें हैं हमारे लिए जो रखते अक्ल
ज़ाया ही कर देंगे इस दिन को भी हम गुज़रते ही
चली जो गयी भैंस अक्ल का सूखा चारा चरते ही
चलो देखो जितना हो सके उतनों तक ये दिन पहुँचाओ
मना सकते हो तो उस रूठी हुई रूह को मनाओ!!!
"असंख्य निर्भायाओं" के आह्वान के साथ नमन, हर उस महिला का जो पुरुषों को उनके अस्तित्व का मौक़ा देती है इंसानों की इस दुनिया में.
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