वाकई आम आदमी के लिये रविवार ही जीने का दिन होता है इस पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है
लंबे समय से आपने कोई पोस्ट नहीं डाला है...कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.----देवेंद्र गौतम
सन्डे की शाम का किस्साबहुत ही मनभावन सा लगाकहीं आस-पास कुछ ऐसा लिखा पायाअछा शगुन ही माना जाना चाहिए ... !!
शुभ दीपावली,
रितेश खरे, आप के दोनों ब्लॉग देखे. 'री फोलियो' ब्लॉग का विषय समझ में नहीं आया. और यह ब्लॉग शायद आप डायरी की तरह ओपरेट करना चाहते है.शुभकामनाएं--- एक मशवरा है -गौर कीजिएगा : ब्लॉग की रंग योजना रीडर फ्रेंडली बिलकुल नहीं.कुछ कीजिए.
khoobsurat aur rumaani
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वाकई आम आदमी के लिये रविवार ही जीने का दिन होता है इस पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है
लंबे समय से आपने कोई पोस्ट नहीं डाला है...
कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज ग़ालिब गज़लसरा न हुआ.
----देवेंद्र गौतम
सन्डे की शाम का किस्सा
बहुत ही मनभावन सा लगा
कहीं आस-पास कुछ ऐसा लिखा पाया
अछा शगुन ही माना जाना चाहिए ... !!
शुभ दीपावली,
रितेश खरे, आप के दोनों ब्लॉग देखे. 'री फोलियो' ब्लॉग का विषय समझ में नहीं आया. और यह ब्लॉग शायद आप डायरी की तरह ओपरेट करना चाहते है.शुभकामनाएं--- एक मशवरा है -गौर कीजिएगा : ब्लॉग की रंग योजना रीडर फ्रेंडली बिलकुल नहीं.कुछ कीजिए.
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